Saturday, October 4, 2008

ऒर हमे मंजीलोसे वास्ता था |

न खुदासे शिकायत थी न तकदीरोंसे वास्ता
चले थे जहांपे वो मेरा अकेलेका ही था रास्ता

चलते चलते युहीं, मुकाम तो कयी गुजरे गये
पर, मंजर की चाहमै हम रास्तोंसे दूर न गये

खूशबू जैसे कयी लोग हमे तो राहों मै मिले
खूशकिस्म्त है हम, वो थोडी दूर तो साथ चले

तमाम उम्र कोन यहां किसका साथ देगा
लेकीन ये न कम था, थोडी देर तो उनसे मूखातीव थे

वो तो एक शब की मुलाकात थी,
नशेमै थे हम तुम, कल की किसे खबर थी

दि तो थी उन्होने दस्तक मेरे दिल पर ;
अब तो किसी ऒर की आहट है मेरी जिंदगी पर

रात के साये मै तुटा वो बेहोशीका आलम था ;
जाग रहे थे चिराग राहों के, ऒर हमे मंजीलोसे वास्ता था

मंदार
27-09-2008

No comments: